8वां वेतन आयोग
तनख़्वाह बढ़ने से आयकर स्लैब बदलेगी, सरकारी खजाना भरेगा
वेतनमान; बढ़ी सैलरी का 27 फीसदी तक इनकम टैक्स, 20% बाकी टैक्स में जाता है
आठवें आयोग के गठन की घोषणा के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी बेसब्री से तनख़्वाह बढ़ोतरी का इंतजार करने लगे हैं। अब तक यह देखने में आया है कि बढ़ी हुई सैलरी से उस साल के टैक्स कलेक्शन में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होती है। साथ ही, बाजार में ज्यादा पैसा खर्च होने से अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलती है। वेतनमान बढ़ने से कर्मचारियों का आयकर स्लैब भी बदल जाता है, जिससे उनकी बढ़ी सैलरी का 27% तक हिस्सा आयकर में चला जाता है। बाजार में सरकारी कर्मियों की खरीदारी तेजी से बढ़ती है, जिससे बढ़े तनख़्वाह का 20% हिस्सा अप्रत्यक्ष कर के रूप में केंद्र-राज्य सरकार को जाता है।
- नए वेतनमान से खरीद बढ़ती है। टैक्स कलेक्शन बढ़ता है। अर्थव्यवस्था को फायदा होता है। बैंक व दूसरी सरकारी कंपनियों में भी वेज रिवीजन होते हैं
7वें वेतनमान से कर संग्रह 20% तक बढ़ा था…
आयकर विशेषज्ञ कहते हैं, सैलरी की अपर स्केल में अतिरिक्त आय पर सीधे 30% टैक्स लग जाता है। निचली स्केल में आने वाले कर्मचारी व अधिकारी जो पहले 10% स्लैब (7 से 10 लाख) में आते थे। वे 15% या 20% के स्लैब में चले जाते हैं। इनको भी बढ़ी सैलरी का 10-20% हिस्सा टैक्स के रूप में देना पड़ता है।
वेतनमान बढ़ोतरी
पांचवां 15.16%
छठा 40.65%
सातवां 20.19%
केस-1 : स्लैब नहीं बदला, पर टैक्स देनदारी बढ़ी अच्युत झा 2016 में सेक्रेटरी थे। मूल तनख़्वाह था 80 हजार रु.। कुल तनख़्वाह हुआ 1.55 लाख रुपए। टैक्स बनता था 4 लाख रु.। सातवां वेतनमान लगा। वेतन 2.25 लाख हो गया। टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं किया गया। सालाना तनख़्वाह 18.6 लाख से 27 लाख। इस हिसाब से 6.25 लाख टैक्स भरना पड़ा यानी 2.25 लाख ज्यादा, जो उनके बढ़े हुए तनख़्वाह का करीब 27% होता है।
केस-2 : तनख़्वाह बढ़ते ही 30% की टैक्स स्लैब में… यशवंत पुरोहित 2016 में आयकर इंस्पेक्टर थे। वेतन 65,000 रु.। सालाना तनख़्वाह 7.8 लाख रु. यानी 20% की टैक्स स्लैब (5-7 लाख) में थे। उन्होंने 40 हजार रु. टैक्स चुकाया। सातवां वेतनमान लगा तो सैलरी 83,000 रुपए हो गई। वे 30% स्लैब (7 से 10 लाख रु.) में आ गए। टैक्स कटा 60 हजार। हर माह वेतन बता 218 हजार इसका 11% हिस्सा टैक्स में गया।
मूल तनख़्वाह बढ़ने से एचआरए, डीए-टीए पर भी असर पड़ेगा
- 18 हजार के न्यूनतम मूल तनख़्वाह पर 20% एचआरए है जो अभी 4,500 है। बेसिक 46,200 रु. होने पर यह 11,550 हो जाएगा।
- 18 हजार रु. के मूल तनख़्वाह पर औसतन सालाना महंगाई भत्ता (डीए) 6% की दर से 1080 रु. होता है। 46,200 बेसिक पर 2,772 रु. बढ़ोतरी होगी।
- 18 हजार रु. के मूल तनख़्वाह पर ट्रेवलिंग अलाउंस (टीए) 5% की दर से 1,350 रु. होता है। 46,200 के न्यूनतम तनख़्वाह पर 3,465 रु. प्रतिमाह हो जाएगा।
18000 रुपए के बेसिक पर 3 साल में एक बार 10 दिन का तनख़्वाह यानी 6000 रु. का एलटीए मिलता है। 46,200 में यह बढ़कर 15,400 रुपए
फिटमेंट फैक्टर क्या है?
फिटमेंट फैक्टर वह मापदंड है, जिसके जरिए सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन की गणना की जाती है। यह आयोग की सिफारिश के अनुसार लागू किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 20,000 रुपये है और आठवें आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.5 निर्धारित होता है, तो उसकी बेसिक सैलरी बढ़कर 50,000 रुपये हो जाएगी। इसी तरह पेंशन की गणना भी की जाएगी।
8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा .
जाने और डिटेल में
8वें वेतन आयोग पर सरकार ने की पहल, सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर
जानें विश्व के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव को: जानें कुंभ को
